मेरी जिद -07-Feb-2024
अहंकार
बचपन की असमर्थता को मेरी लाचारी का मद थी । पहचान मुझे मेरी अक्षमता का मुझ पर उधारी का मद था ! । सदियों पुराना मेरा विकार खिली क्षमता का अंहकार था।।।
पग-पग पर मैने कर मेहनत,
असफलता से नाता जोड़ा था !
. डग- डग पर चलकर मैने,
पांवो के घावों के संग मन के कोलाहल को तोड़ा था ।
क्यो सदियो पुराना मेरा विकार ,
खिली क्षमता का अहंकार था ।।
खामियाँ मुझमे लाखो नही.
. मन की खामियो को तौड़ा कहीं बार
आत्मविश्वात सँग मन की साखी रखी
अतिविश्वाम से समाधान जोड़ा कही बार
दुर किया सदियो पुराने, मन में उठे मेरे मनो विकार को
पास किया अब मनोविकार के चरित्र् से जोड़ा मनोहंकार
को
बरसों पुराने मनोविकार को
अपनी क्षमता का जरिया माना
इसी जरिये से मनोविकार को
ममता क भरे आंसूओ का दरिया माना
तांकी उठे अहंकार के विकार संग
मुझे उस दरिया में कुद जाना है।
उच्च कुल संग महत्वाकांक्षा को
मनो रुपि खेत में धर सकु
अहम् की डगर पर रख शिक्षा को
पश्चाताप से कर जल सकु
ताकि मेरे अहंकार के विकार को
कोई दिव्य पुरुष ही हटा सके।